शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर
शिवाजी विद्यापीठ हिंदी प्राध्यापक परिषद
एवं
हिंदी विभाग
यशवंतराव चव्हाण महाविद्यालय, उरूण-इस्लामपुर के संयुक्त तत्वावधान में
"२१ वीं सदी के हिंदी साहित्य में चित्रित हाशिए का समाज" इस विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
शनिवार, ३० दिसंबर, २०२३
शोधालेख आमंत्रण सूचना
प्रिय महोदय/महोदया,
शनिवार, दि. ३० दिसंबर, २०२३ को शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर, शिवाजी विद्यापीठ हिंदी प्राध्यापक परिषद एवं हिंदी विभाग यशवंतराव चव्हाण महाविद्यालय उरूण-इस्लामपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में “२१ वीं सदी के हिंदी साहित्य में चित्रित हाशिए का समाज” इस विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं शिवाजी विद्यापीठ हिंदी प्राध्यापक परिषद के अष्टम वार्षिक अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है । प्रस्तुत संगोष्ठी एवं अधिवेशन में आप सभी को आमंत्रित करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है । अत: आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है ।
संस्था के बारे में
वाळवा तालुका एज्युकेशन सोसायटी, दक्षिण महाराष्ट्र में एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था है, जिसकी स्थापना ग्रामीण एवं शिक्षा से वंचित बहुजन समाज के शैक्षिक उत्थान के लिए “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय” इस उद्देश्य को लेकर स्वातंत्र्य पूर्व काल में सन १९४५ में भूतपूर्व सांसद एस. डी. पाटील साहब जी के द्वारा की गई । एस. डी. पाटील जी दक्षिण महाराष्ट्र की सामाजिक, राजनीतिक तथा शैक्षिक गतिविधियों में बहुत सक्रिय रहे। संस्था पूर्व प्राथमिक शिक्षा से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक सांगली, पुणे एवं रत्नागिरी जिलों मेंविभिन्न ३२ शाखाओं में कार्यरत है । वर्तमान में संस्था का कार्य संचलन मानद सचिव. ऍड. बी. एस. पाटील जी के निर्देशन में सहसचिव ऍड. धैर्यशील पाटील जी कार्य कुशलता से कर रहे हैं ।
महाविद्यालय एवं हिंदी विभाग के बारे में
यशवंतराव चव्हाण महाविद्यालय, उरूण- इस्लामपुर की स्थापना १९७० में ग्रामीण परिवेश में उच्च शिक्षा की सुविधा हेतु की गई । शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर से संलग्न इस महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. ए. एम. जाधव जी के मार्गदर्शन में कनिष्ठ विभाग से लेकर बी.ए./ बी.कॉम./ बी.एससी./ बी.सी.एस./ बी.बी.ए./ बी.सी.ए./ एम.कॉम./ डी. आय. टी. आदि विभिन्न विद्या शाखाओं में लगभग १८०० से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । शैक्षिक एवं संख्यात्मक विकास के साथ ही महाविद्यालय के क्रीडा, सांस्कृतिक तथा राष्ट्रीय सेवा विभाग ने विश्वविद्यालय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आपना अलग कीर्तिमान स्थापित किया है । क्रीडा विभाग ने राष्ट्रीय खेल हॉकी से लेकर सॉफ्टबॉल, हँडबॉल, बेस बॉल, बॅडमिंटन, निशानेबाजी, तलवारबाजी, बुद्धिबल, योगा, तायक्वांदो एवं रेसलिंग आदि क्रीडा प्रकारों में राष्ट्रीय स्तर पर महाविद्यालय का नाम रोशन किया है । सांस्कृतिक विभाग के अंतर्गत छात्रों ने महाविद्यालयीन तथा विश्वविद्यालयीन युवा महोत्सव में हिस्सा लेकर इंद्रधनुष्य तथा आंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कलाओं का प्रदर्शन किया है । राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग के द्वारा किए गए उल्लेखनीय सामाजिक कार्य के लिए शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर की ओर से पिछले तीन सालों से उत्कृष्ट महाविद्यालय एकक, उत्कृष्ट कार्यक्रमाधिकारी तथा उत्कृष्ट स्वयंसेवक आदि पुरस्कार महाविद्यालय को प्राप्त हो चुके हैं ।
नॅक बेंगलोर द्वारा मई, २०२२ में महाविद्यालय का तिसरा पुनर्मूल्यांकन हुआ और CGPA २.९१ के साथ B++ का दर्जा प्राप्त हो चुका है । महाविद्यालय में हिंदी विभाग की शुरुवात सन १९८२ में हुई जिसके माध्यम से छात्रों में हिंदी भाषा तथा हिंदी साहित्य के प्रति रुची निर्माण करणे का कार्य निरंतर चल रहा है I भाषायी समन्वय के लिए निबंध लेखन, काव्यवाचन, हस्तलेखन एवं हिंदी वक्तृत्व प्रतियोगिताओं का आयोजन हर साल किया जाता है I विभाग की ओर से हिंदुस्तानी प्रचार सभा मुंबई द्वारा संचलित ‘सरल हिंदी’ प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाया जाता है जिससे हिंदीतर भाषा के छात्र भी लाभान्वित हो रहे हैं I
राष्ट्रीय संगोष्ठी की भूमिका
साहित्य का दायरा असीम है । वह मानव जीवन और प्रकृति से संबंधित सब कुछ को अपने में समाहित कर लेता है । हर दौर में साहित्य की भूमिका बदलती रहती है । वर्तमान समय में साहित्य में अस्मितामूलक विमर्श के अंतर्गत मनुष्य के अस्मिता से जुड़े सवालों को वाणी दी जा रही है । साथ ही मुख्य धारा से परे हाशिए पर सिमटते जा रहे भाषा, धर्म, लिंग, वर्ण, जाति, समुदाय आदि विषयों को मुख्यधारा में वापस लाने की कवायद चल रही है । इसी की एक कड़ी “२१ वीं सदी के हिंदी साहित्य में चित्रित हाशिए का समाज” है ।
वैश्वीकरण ने समुचे विश्व को बदल दिया है| दुनिया ने विश्व ग्राम की जो संकल्पना देखी वह साकार हो रही है । भूमंडलीकरण के चलते बदलाव की धारा पूरे विश्व भर में प्रवाहित हुई, उसने विकास के नाम पर विश्व भर में पैर फैलाए । सन १९९१ के बाद विकास की यह धारा भारत तक पहुँची । विकास के नाम पर उदारीकरण एवं मुक्त व्यापार की चपेट में भारत के मूल निवासी आ गए । हाशिए के लोगों के मूल अधिकारों का हनन हो रहा है जिसके चलते संघर्ष की चिंगारी ने जन्म लिया । अपनी ही धरती में जीने वाले इन लोगों के जीवन में अब नवीन समस्याओं ने दस्तक दी इस संघर्ष ने ही उनकी अस्मिता को झकझोर दिया । विकास के इस दौर में हाशिए के लोगों पर खतरा मंडरा रहा है । विकास के रास्ते पर अग्रसित रहते हुए हाशिए के लोगों की अस्मिता को कैसे बचाया जाए, इसी पर विचार मंथन करना प्रस्तुत संगोष्ठी का उद्देश्य है ।
शोध आलेख के विषय
मुख्य विषय
“२१ वीं सदी के हिंदी साहित्य में चित्रित हाशिए का समाज” (घुमंतू, दिव्यांग, वृद्ध, अल्पसंख्यक, आदिवासी, बालमजदूर, किन्नर, दलित आदि ।)
शोध आलेख के उप विषय
२१ वीं सदी के हिंदी कहानी में चित्रित हाशिए का समाज
२१ वीं सदी के हिंदी नाटक में चित्रित हाशिए का समाज
२१ वीं सदी के हिंदी काव्य में चित्रित हाशिए का समाज
२१ वीं सदी के हिंदी आत्मकथा में चित्रित हाशिए का समाज
विषय से संबंधित अन्य विधाओं पर भी शोधालेख प्रस्तुत कर सकते हैं ।
लेखकों लिए दिशा-निर्देश
- शोध-निबंध की शब्द सिमा २०००-२५०० के बिच होनी चाहिए तथा लेख में शब्द सारांश (२०० शब्द) एवं बीज शब्द/keywords (४-६ शब्द) का होना अनिवार्य है ।
- शोधालेख अनुसंधान प्रक्रिया के तहत होना आवश्यक है, जैसे-प्रस्तावना, शोध विषय का विश्लेषण, निष्कर्ष आदि।
- शोधालेख के अंत में संदर्भ ग्रंथों और टिप्पणी का समुचित उल्लेख होना चाहिए ।
- शोधालेख Arial Unicode MS font अथवा Mangal font में (A-4 Size, in MS Word file) में टाइप कर, वर्तनी दोष विरहित दि. 29-12-2023 तक भेज सकते हैं ।
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अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क सूत्र
डॉ. गोरखनाथ किर्दत
संयोजक
राष्ट्रीय सांगोष्ठी एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग
भ्रमणध्वनि: ७०२०४५९९६३
प्रो. डॉ. सुनील बनसोडे
अध्यक्ष
शिवाजी विद्यापीठ, हिंदी प्राध्यापक परिषद
भ्रमणध्वनि: ८०८७३०३८९२
डॉ. ए. एम. जाधव
प्रधानाचार्य
यशवंतराव चव्हाण महाविद्यालय इस्लामपुर
भ्रमणध्वनि: ९४२१२२५२८७